अप्रतिम कविताएँ
चाय 1

प्रेम?
यह घटना कभी घटी ही नहीं,
बस सुबह उठते ही
बनाती हूँ एक कप चाय अपने लिये
और एक कप तुम्हारे लिये भी,
इन दोनों का एक साथ बनना
हर सुबह घुल जाता है
जीवन में प्रेम की तरह .
प्रेम एक घटना है या जीवन ?
- नूपुर अशोक

काव्यालय को प्राप्त: 5 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 4 Aug 2023

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झर-झर बहते नेत्रों से,
कौन सा सत्य बहा होगा?
वो सत्य बना आखिर पानी,
जो कहीं नहीं कहा होगा।

झलकती सी बेचैनी को,
कितना धिक्कार मिला होगा?
बाद में सोचे है इंसान,
पहले अंधा-बहरा होगा।

तलाश करे या आस करे,
किस पर विश्वास ज़रा होगा?
..

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