अप्रतिम कविताएँ
चाय 1

प्रेम?
यह घटना कभी घटी ही नहीं,
बस सुबह उठते ही
बनाती हूँ एक कप चाय अपने लिये
और एक कप तुम्हारे लिये भी,
इन दोनों का एक साथ बनना
हर सुबह घुल जाता है
जीवन में प्रेम की तरह .
प्रेम एक घटना है या जीवन ?
- नूपुर अशोक

काव्यालय को प्राप्त: 5 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 4 Aug 2023

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
नूपुर अशोक
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 गेंद और सूरज
 चाय 1
 चाय 2
 चाय 3
 चाय 4
 चाय 5
 चाय 6
 चाय 7
इस महीने :
'पावस गीत'
प्रभात कुमार त्यागी


पुल बारिश का!
बिना ओढ़नी हवा घूमती
सबने देखा
पुल बारिश का!

मेघों से धरती तक
धानखेती सीढ़ियाँ,
मिट्टी में उग रहीं
नई हरी पीढ़ियाँ,
उड़ती हुई नदी पर
बनती मिटती नौका,
पुल बारिश का!
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

डूब कर देखो ये है गंगा गणित विज्ञान की।
ये परम आनंद है वाणी स्वयं भगवान की।

~ विनोद तिवारी

संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website