अप्रतिम कविताएँ
चाय 2

आओ बैठें साथ-साथ
और चाय पियें,
बस इतना ध्यान रखना
कप ऊपर तक मत भर देना,
कप में थोड़ी-सी चाय रहे
थोड़ी जगह खाली रहे
खाली जगह थोड़ी –सी मेरी
खाली जगह थोड़ी तुम्हारी
ताकि तुम तुम रह सको,
मैं मैं रह सकूँ,
थोड़ी-सी चाहत बाकी रहे
एक और कप चाय की
और तुम्हारे साथ की!
- नूपुर अशोक

काव्यालय को प्राप्त: 2 Feb 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 18 Feb 2022

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कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!

एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..

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