अप्रतिम कविताएँ
चाय 2

आओ बैठें साथ-साथ
और चाय पियें,
बस इतना ध्यान रखना
कप ऊपर तक मत भर देना,
कप में थोड़ी-सी चाय रहे
थोड़ी जगह खाली रहे
खाली जगह थोड़ी –सी मेरी
खाली जगह थोड़ी तुम्हारी
ताकि तुम तुम रह सको,
मैं मैं रह सकूँ,
थोड़ी-सी चाहत बाकी रहे
एक और कप चाय की
और तुम्हारे साथ की!
- नूपुर अशोक

काव्यालय को प्राप्त: 2 Feb 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 18 Feb 2022

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काव्यालय के आँकड़े

वार्षिक रिपोर्ट
अप्रैल 2023 – मार्च 2024
इस महीने :
'या देवी...'
उपमा ऋचा


1
सृष्टि की अतल आंखों में
फिर उतरा है शक्ति का अनंत राग
धूम्र गंध के आवक स्वप्न रचती
फिर लौट आई है देवी
रंग और ध्वनि का निरंजन नाद बनकर
लेकिन अभी टूटी नहीं है धरती की नींद
इसलिए जागेगी देवी अहोरात्र...

2
पूरब में शुरू होते ही
दिन का अनुष्ठान
जाग उठी हैं सैकड़ों देवियाँ
एक-साथ
ये देवियाँ जानती हैं कि
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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