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चाय 6
सोचो ज़रा,
नापतोल कर
सही फॉर्मूले से
बनती है चाय
मशीन में,
पर हर बार
मशीन भूल जाती है
चाय में स्वाद डालना
या
चाय ही
नहीं भूल पाती
किसी की नज़रों के
अंदाज़ से गुज़रना !
-
नूपुर अशोक
काव्यालय को प्राप्त: 5 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 9 Aug 2023
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तुम्हारे लिए, तुम्हारे पिता जैसे नहीं हैं,
एकांत की खोह में जब जाता हूँ
बिल्कुल, बिल्कुल करीब हो जाता हूँ
अपने ही
तब भी
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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