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चाय 6
सोचो ज़रा,
नापतोल कर
सही फॉर्मूले से
बनती है चाय
मशीन में,
पर हर बार
मशीन भूल जाती है
चाय में स्वाद डालना
या
चाय ही
नहीं भूल पाती
किसी की नज़रों के
अंदाज़ से गुज़रना !
-
नूपुर अशोक
काव्यालय को प्राप्त: 5 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 9 Aug 2023
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'पावस गीत'
प्रभात कुमार त्यागी
पुल बारिश का!
बिना ओढ़नी हवा घूमती
सबने देखा
पुल बारिश का!
मेघों से धरती तक
धानखेती सीढ़ियाँ,
मिट्टी में उग रहीं
नई हरी पीढ़ियाँ,
उड़ती हुई नदी पर
बनती मिटती नौका,
पुल बारिश का!
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
डूब कर देखो ये है गंगा गणित विज्ञान की।
ये परम आनंद है वाणी स्वयं भगवान की।
~
विनोद तिवारी
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