अप्रतिम कविताएँ
चाय 4

वैसे तो
मना कर रखा है
दिल की बात को
होठों पर आने को
फिर भी
रख देती हूँ एक प्लेट
कप के नीचे
किसी कंपन से छलकी चाय को
छुपाने को !
- नूपुर अशोक

काव्यालय को प्राप्त: 22 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 7 Aug 2023

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काव्यालय के आँकड़े

वार्षिक रिपोर्ट
अप्रैल 2023 – मार्च 2024
इस महीने :
'या देवी...'
उपमा ऋचा


1
सृष्टि की अतल आंखों में
फिर उतरा है शक्ति का अनंत राग
धूम्र गंध के आवक स्वप्न रचती
फिर लौट आई है देवी
रंग और ध्वनि का निरंजन नाद बनकर
लेकिन अभी टूटी नहीं है धरती की नींद
इसलिए जागेगी देवी अहोरात्र...

2
पूरब में शुरू होते ही
दिन का अनुष्ठान
जाग उठी हैं सैकड़ों देवियाँ
एक-साथ
ये देवियाँ जानती हैं कि
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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