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चाय 4
वैसे तो
मना कर रखा है
दिल की बात को
होठों पर आने को
फिर भी
रख देती हूँ एक प्लेट
कप के नीचे
किसी कंपन से छलकी चाय को
छुपाने को !
-
नूपुर अशोक
काव्यालय को प्राप्त: 22 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 7 Aug 2023
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'पुकार'
अनिता निहलानी
कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!
एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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