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जल कर दे
ईश्वर मुझको जल कर दे
सीमित कर सागर कर दे
मोड़े तू जिस ओर मुझे
चल दूँ दे जी-जान तुझे
चट्टानों से ढल कर के
निर्मल निर्झर सा कर दे
बहती जाऊं तेरी ओर
हर को लेकर अपनी ओर
पीड़ा मेरी हर कर के
वाणी मेरी सुन कर के
मंज़िल मेरी तय कर दे
ईश्वर मुझको जल कर दे
-
वाणी मुरारका
Vani Murarka
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इस महीने :
'पुकार'
अनिता निहलानी
कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!
एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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