गहरा आँगन
इस पल का यह गहरा आँगन
इसमें तू स्पन्दित है साजन।
नयनालोकित स्मृतियों से हैं
मन भरपूर प्रीत से पावन।
दूषित विश्व पवन हो पावन
जग को अर्पित यह प्रेमाँगन।
तनहाई जो मन पर छाए -
तू मनमीत हमेशा साजन।
नयनालोकित: नयन + आलोकित: रोशनी से भरी आँखें
काव्यालय को प्राप्त: 29 Nov 2014.
काव्यालय पर प्रकाशित: 5 Apr 2018