अप्रतिम कविताएँ
पावन कर दो
आ पवस्व मन्दितम पवित्रं धारया कवे ।
अर्कस्य योनिमासदम् ।।
(ऋ. 9/50/4)

कवि! मेरा मन पावन कर दो!

हे! रसधार
बहाने वाले,
हे! आनन्द
लुटाने वाले,

ज्योतिपुंज मैं भी हो जाऊँ
ऐसा अपना तेज प्रखर दो!
- अज्ञात
- अनुवाद : अमृत खरे
पुस्तक "मयूरपंख: गीत संग्रह (अमृत खरे)" और 'श्रुतिछंदा' से

***
अज्ञात
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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 3 खास विषयों पर लिखना

वाणी मुरारका
इस महीने :
'कौन तुम'
डा. महेन्द्र भटनागर


कौन तुम अरुणिम उषा-सी मन-गगन पर छा गयी हो!

              लोक धूमिल रँग दिया अनुराग से,
              मौन जीवन भर दिया मधु राग से,
              दे दिया संसार सोने का सहज
              जो मिला करता बड़े ही भाग से,
कौन तुम मधुमास-सी अमराइयाँ महका गयी हो!

             वीथियाँ सूने हृदय की ..

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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 2 मूल तरकीब

वाणी मुरारका

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 1 लय का महत्व

वाणी मुरारका
इस महीने :
'कामायनी ('निर्वेद' सर्ग के कुछ छंद)'
जयशंकर प्रसाद


तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन!

विकल होकर नित्य चंचल,
खोजती जब नींद के पल,
चेतना थक-सी रही तब,
मैं मलय की वात रे मन!

चिर-विषाद-विलीन मन की,
इस व्यथा के तिमिर-वन की;
..

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