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अमृत खरे
अमृत खरे की काव्यालय पर रचनाएँ
अनमनी है सांझ
अभिसार गा रहा हूँ
कॉरोना काल का प्रेम गीत


अमृत खरे द्वारा अनूदित कविताएँ
अविद्या और विद्या - अज्ञात
उऋण रहें - अज्ञात
कौन - अज्ञात
त्र्यम्बक प्रभु को भजें - अज्ञात
पावन कर दो - अज्ञात

अमृत खरे के काव्य-लेख
समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न : अभिभूत करतीं दिव्य-भव्य कवितायें
शिक्षा : विज्ञान स्नातक

कृतित्व : रचनाएं विभिन्‍न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा आकाशवाणी, दूरदर्शन से प्रसारित। मूलतः गीत-कवि, किन्तु अनेक विधाओं में सृजन। साहित्यिक त्रैमासिक 'क्षेपक' के सम्पादन प्रकाशन से लगभग दस वर्षो तक जुड़े रहे। पूर्व में दिल्ली प्रेस की पत्रिकाओं, सरिता, और मुक्ता के लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र प्रतिनिधि रहे। कविता पाठ पर आधारित ऑडियो कैसेट “गोष्ठी” की परिकल्पना, प्रस्तुति और सहभागी काव्यपाठ। अनेक रचनाएं पाठ्यक्रमों में। टेलीफिल्मों-बांसुरी, मेरा बेटा, तथा जमुना और दूरदर्शन

धारावाहिक गाथा गोपाल गंज के लिए कथा पटकथा, संवाद एवं गीत लेखन। यूट्यूब चैनल AMRIT FILMS के लिए दो SHORT FILMS 'यह कैसा समाधान' तथा 'भाभी मत जाओ ' का लेखन और निर्माण|

प्रकाशित कृति : मयूर पंख (गीत संग्रह)



स्तम्भ लेखन : बात दूरदर्शन की स्तम्भ लखनऊ से प्रकाशित नवजीवन दैनिक में वर्षो प्रकाशित। आजकल आर्य लोक वार्ता मासिक में पुस्तक समीक्षा का स्तम्भ अक्षर लोक' तथा पत्र पत्रिका परिचय का स्तम्भ, “वाचनालय से” जारी ।

विशेष: प्रो० राम स्वरूप सिन्दूर द्वारा अमृत खरे पर केद्धित गीतान्तर मासिक के विशेष अंक का सम्पादन (२००३) प्रकाशन, मधुकर अष्ठाना द्वारा सम्पादित “लखनऊ के प्रतिनिधि गीतकार' ग्रन्थ सम्मिलित (२००६)

सम्मान: (१) जिला प्रशासन लखनऊ द्वारा गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर सारस्वत सम्मान-२००३, (२) बैंक ऑफ बड़ौदा, क्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन समारोह में विशिष्ट सम्मान-२००५, (३) अरविन्द पुस्तकालय, रुदौली (फैजाबाद) द्वारा हिन्दी दिवस पर सम्मान-२००५, (४) सागर संस्कृति (लखनऊ) द्वारा 'सागरिका-सम्मान' -२००६

आजीविका : बैंक आफ बड़ौदा में सेवारत। २०१६ में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति।

संपर्क: [email protected]


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