अप्रतिम कविताएँ
कुछ नहीं हिला उस दिन
कुछ नहीं हिला उस दिन
न पल न प्रहर न दिन न रात

सब निश्छल खड़े रहे
ताकते हुए अस्पताल के परदे
और दरवाजे और खिड़कियाँ
और आती-जाती लड़कियाँ
जिन्हे मैं सिस्टर नहीं कहना चाहता था
कहना ही पड़ता था तो पुकारता था बेटी कहकर

और दूसरे दिन जब हिले
पल और प्रहर और दिन और रात
तब सब एक साथ बदल गये मान
अस्पताल के परदे और दरवाजे
और खिड़कियाँ और
कमरे में आती-जाती लड़कियाँ
सिरहाने खड़ी मेरी पत्नी
पायताने बैठा मेरा बेटा
अब तक की गुमसुम मेरी लड़की
और बाहर के तमाम झाड़
शरीर के भीतर की नसें
मन के भीतर के पहाड़

ऐसा होता है समय कभी कितना सोता है
कभी कितना जागता है
लगता है कभी कितना हो गया है स्थिर
कभी कितना भागता है!
- भवानीप्रसाद मिश्र
साहित्य अकादेमी पुरस्कृत संकलन "बुनी हुई रस्सी" से

एमज़ोन पर उपलब्ध
विषय:
जीवन (37)
बुढ़ापा बीमारी (9)
समय (6)

काव्यालय पर प्रकाशित: 3 May 2019

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
भवानीप्रसाद मिश्र
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 अक्कड़ मक्कड़
 अच्छा अनुभव
 आराम से भाई जिन्दगी
 एक बहुत ही तन्मय चुप्पी
 कुछ नहीं हिला उस दिन
 चिकने लम्बे केश
 जबड़े जीभ और दाँत
 परिवर्तन जिए
 विस्मृति की लहरें
 सतपुड़ा के घने जंगल
इस महीने :
'दरवाजे में बचा वन'
गजेन्द्र सिंह


भीगा बारिश में दरवाजा चौखट से कुछ झूल गया है।
कभी पेड़ था, ये दरवाजा सत्य ये शायद भूल गया है।

नये-नये पद चिन्ह नापता खड़ा हुआ है सहमा-सहमा।
कभी बना था पेड़ सुहाना धूप-छाँव पा लमहा-लमहा।
चौखट में अब जड़ा हुआ है एक जगह पर खड़ा हुआ है,
कभी ठिकाना था विहगों का आज ...

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'पेड़ों का अंतर्मन'
हेमंत देवलेकर


कल मानसून की पहली बरसात हुई
और आज यह दरवाज़ा
ख़ुशी से फूल गया है

खिड़की दरवाज़े महज़ लकड़ी नहीं
विस्थापित जंगल होते हैं

मुझे लगा, मैं पेड़ों के बीच से आता-जाता हूँ
टहनियों पर ...
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'छाता '
प्रेमरंजन अनिमेष


जिनके सिर ढँकने के लिए
छतें होती हैं
वही रखते हैं छाते

हर बार सोचता हूँ
एक छत का जुगाड़ करुँगा
और लूँगा एक छाता

इस शहर के लोगों के पास
जो छाता है
उसमें

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website