(29.03.1913-20.02.1985)
छायावादोत्तर युग के शीर्षस्थ कवि और प्रेरक व्यक्तित्व। कविता में बोलचाल की भाषा लाने का सर्वाधिक श्रेय।
जन्म नर्मदा किनारे बसे होशंगाबाद जिले के टिगरिया गांव में। प्रकृति प्रेम, देशप्रेम एवं लोकधर्मिता की बुनियाद प्रारम्भ से ही। हाई स्कूल के दिनों में असहयोग आंदोलन में दिलचस्पी। बी.ए. की शिक्षा जबलपुर राबर्टसन कॉलेज से। आजीविका की शुरुआत बैतूल में स्कूल खोलकर। 1942 में 'भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान गिरफ्तार और पौने तीन वर्ष बाद रिहाई। जेल से छूटकर सीधे वर्धा महिलाश्रम, एक शिक्षक के रूप में। गांधी से यहीं पहली भेंट।
न्यू थियेटर्स कलकत्ता की फिल्म स्वयंसिद्धा के गाने लिखे। ए.वी.एम. मद्रास की दो और बम्बई की एक फिल्म का संवाद निर्देशन। बम्बई और दिल्ली आकाशवाणी में चीफ प्रोड्यूसर के पद पर कार्य। कुछ वर्ष गांधी वाङमय के खंडों का संपादन। कल्पना, गांधी मार्ग, गगनांचल एवं अन्य कई पत्रिकाओं का संपादन। पहला काव्य संग्रह गीतफरोश 1956 में। 1972 में पांचवें काव्य संग्रह
बुनी हुई रस्सी को साहित्य अकादमी पुरस्कार। 1977 में परिवर्तन जिए को ऑथर्स गिल्ड का पुरस्कार। 1983 में मध्य प्रदेश शासन का शिखर पुरस्कार और दिल्ली शासन का गालिब पुरस्कार। 20 फरवरी 1985 को नरसिंहपुर में निधन।
कुल 17 काव्य-संग्रह, तीन गद्य पुस्तकें प्रकाशित तथा कुछ ग्रंथों का सह-संपादन भी। सोफोक्लीज के नाटक "एंटीगोनी", स्टाइनबेक के "रेड पानी" और हेलेन केलर के "ओपन डोर" उपन्यास का अनुवाद। रवींद्रनाथ की कई रचनाओं का अनुवाद।