बक्सों में बन्द हैं यादें
हर कपड़ा एक याद है
जिसे तुम्हारे हाथों ने तह किया था
धोबी ने धोते समय इन को रगड़ा था
पीटा था
मैल कट गया पर ये न कटीं
यह और अन्दर चली गयीं
हम ने निर्मम होकर इन्हें उतार दिया
इन्होंने कुछ नहीं कहा
पर हर बार
ये हमारा कुछ अंश ले गयीं
जिसे हम जान न सके
त्वचा से इन का जो सम्बन्ध है वह रक्त तक है
रक्त का सारा उबाल इन्होंने सहा है
इन्हें खोल कर देखो
इन में हमारे खून की खुशबू ज़रूर होगी
अभी ये मौन है
पर इन की एक-एक परत में जो मन छिपा है
वह हमारे जाने के बाद बोलेगा
यादें आदमी के बीत जाने के बाद ही बोलती हैं
बक्सों में बन्द रहने दो इन्हें
जब पूरी फुरसत हो तब देखना
इन का वार्तालाप बड़ा ईर्ष्यालू है
कुछ और नहीं करने देगा।