अप्रतिम कविताएँ
तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे
तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे, नागर नंद कुमार।
मुरली तेरी मन हर्यो, बिसर्यो घर-व्यौहार॥
जब तें सवननि धुनि परि, घर आँगण न सुहाइ।
पारधि ज्यूँ चूकै नहीं, मृगी बेधी दइ आइ॥
पानी पीर न जानई ज्यों मीन तड़फि मरि जाइ।
रसिक मधुप के मरम को नहिं समुझत कमल सुभाइ॥
दीपक को जो दया नहिं, उड़ि-उड़ि मरत पतंग।
'मीरा' प्रभु गिरिधर मिले, जैसे पाणी मिलि गयो रंग॥
- मीराबाई

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 घर आवो जी सजन मिठ बोला
 तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे
 पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे
 पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो
 मेरे तो गिरिधर गोपाल
 श्याम मोसूँ ऐंडो डोलै हो
'बेकली महसूस हो तो'
विनोद तिवारी

बेकली महसूस हो तो गुनगुना कर देखिये।
दर्द जब हद से बढ़े तब मुस्कुरा कर देखिये।

रूठते हैं लोग बस मनुहार पाने के लिए
लौट आएगा, उसे फिर से बुला कर देखिये।

आपकी ही याद में शायद वह हो खोया हुआ
पास ही होगा कहीं, आवाज़ देकर देखिये।

हारती है बस मोहब्बत ही ख़ुदी के खेल में
हार कर अपनी ख़ुदी, उसको...

पूरी ग़ज़ल यहां पढ़ें
इस महीने :
'पुकार'
अनिता निहलानी


कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!

एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..

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