हमने तूफां अपना, खुद चुना है
साहिल न हो, पतवार न हो, तो क्या।
हम ही तूफां हैं, साहिल हैं,
पतवार हम हैं।
यह क्या कम है कि,
मौजे रवां हम हैं
तूफां हम हैं पतवार हम हैं।
वर्ष दो वर्ष, जिन्दगी एक नये मोड़ पर
घूम जाती है
वो कैसे लोग हैं कि सीधी सड़क पर
चले जा रहें हैं
हमने हर मोड़ पर
एक नया तर्न्नुम पाया -
संगीत जिन्दगी का
गाते चले।
तुम दूर चले जाओगे, तो क्या
तुम याद आओगे, तो क्या
तुम भूल जाओगे, तो क्या
जिन्दगी यही याद, भूल, आसरा है
नये रिश्तों में, तूफां मे चलो नहीं
किसी नाव को तूफां में ठेलो नहीं
कोई तूफां कोई रिश्ते
बहती रेत में नहीं उठते बनते
ऐसे तूफां के सपने संजोओ नहीं
जिसकी इक लहर का दूसरी से
कोई रिश्ता न हो
न जाने कितने संग ओ साथी
के बाद
एकाकी जीवन पाया है।
एक समय था कि
साथ छॊड़ जाते थे हम
अब है कि नये साथ खोजते हैं।
हमने सोचा था कि जीवन एकाकी है
न जाने कब किसने
नये साथ की आहट दी है।
यह आहट सुनों नहीं
इस साथ में भटको नहीं
साथ अपने एकाकीपन का
संगीत अपनी रुह का
गाते चलो निभाते चलो।
इकतारे को औरों की हवा से
न छेड़ो
इसका संगीत नायाब है
अनमोल है
इसे नये रिश्तों से, न जोड़ो।