जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने सँदेश,
पथ में बिछ जाते बन पराग,
गाता प्राणों का तार-तार
अनुराग-भरा उन्माद-राग;
आँसू लेते वे पद पखार !
जो तुम आ जाते एक बार !
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
घुल जाता ओठों से विषाद,
छा जाता जीवन में वसंत
लुट जाता चिर-संचित विराग;
आँखें देतीं सर्वस्व वार |
जो तुम आ जाते एक बार !