अप्रतिम कविताएँ
एक विश्वास
तूलिका से बिखरते हुये
भयावह,
किन्तु
सौन्दर्य लिये सत्य का
मानव की
रक्त की
पिपासा के प्रतीक
ये रंग
कितने निरीह,
कितने चुप,
किन्तु कितने वाचाल।
कब आयेगा
सपनो का सावन
जो आस्था के रंगो को
धो कर निखार दे।
कदाचित कभी नहीं।

किन्तु फिर भी
विश्वास है,
एक दिन
किसी
मानवी की आँखों से
बहेगी
ममता की धारा,
उसमें बह जायेंगे
गुनाहों के दाग़।
उस दिन
संगीत के स्वरों में,
गीतों के बोलों मे,
मुखरित होगा
जीवन का संदेश
और तूलिका से
सृजित होगा
नूतन, नवल, इन्द्रधनुष।
- विनोद तिवारी
काव्य संकलन समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न

काव्यालय को प्राप्त: 5 Feb 2018. काव्यालय पर प्रकाशित: 20 Apr 2018

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झर-झर बहते नेत्रों से,
कौन सा सत्य बहा होगा?
वो सत्य बना आखिर पानी,
जो कहीं नहीं कहा होगा।

झलकती सी बेचैनी को,
कितना धिक्कार मिला होगा?
बाद में सोचे है इंसान,
पहले अंधा-बहरा होगा।

तलाश करे या आस करे,
किस पर विश्वास ज़रा होगा?
..

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