चाय 1
प्रेम?
यह घटना कभी घटी ही नहीं,
बस सुबह उठते ही
बनाती हूँ एक कप चाय अपने लिये
और एक कप तुम्हारे लिये भी,
इन दोनों का एक साथ बनना
हर सुबह घुल जाता है
जीवन में प्रेम की तरह .
प्रेम एक घटना है या जीवन ?
काव्यालय को प्राप्त: 5 Aug 2022.
काव्यालय पर प्रकाशित: 4 Aug 2023
इस महीने :
'दरवाजे में बचा वन'
गजेन्द्र सिंह
भीगा बारिश में दरवाजा चौखट से कुछ झूल गया है।
कभी पेड़ था, ये दरवाजा सत्य ये शायद भूल गया है।
नये-नये पद चिन्ह नापता खड़ा हुआ है सहमा-सहमा।
कभी बना था पेड़ सुहाना धूप-छाँव पा लमहा-लमहा।
चौखट में अब जड़ा हुआ है एक जगह पर खड़ा हुआ है,
कभी ठिकाना था विहगों का आज ...
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