अप्रतिम कविताएँ
प्रिय तुम...
प्रिय तुम मेरे संग एक क्षण बाँट लो
वो क्षण आधा मेरा होगा
और आधा तुम्हारी गठरी में
नटखट बन जो खेलेगा मुझ संग
तुम्हारे स्पर्श का गंध लिये

प्रिय तुम ऐसा एक स्वप्न हार लो
बता जाये बात तुम्हारे मन की जो
मेरे पास आकर चुपके से
जब तुम सोते होगे भोले बन
सपना खेलता होगा मेरे नयनों में

प्रिय तुम वो रंग आज ला दो
जिसे तोडा था उस दिन तुमने
और मुझे दिखाये थे छल से
बादलों के झुरमुट के पीछे
छ: रंग झलकते इन्द्रधनुष के

प्रिय तुम वो बूंद रख लो सम्हाल कर
मेरे नयनों के भ्रम में जिस ने
बसाया था डेरा तुम्हारी आंखों में
उस खारे बूंद में ढूंढ लेना
कुछ चंचल सुंदर क्षण स्मृतियों के

प्रिय तुम...
- मानोशी चटर्जी
Manoshi Chatterjee
Email : [email protected]
Manoshi Chatterjee
Email : [email protected]

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
मानोशी चटर्जी
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 आज कुछ माँगती हूँ प्रिय...
 पतझड़ की पगलाई धूप
 प्रिय तुम...
 शाम हुई और तुम नहीं आये
 हे प्रियतम
इस महीने :
'अमरत्व'
क्लेर हार्नर


कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।

झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती...
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website