अप्रतिम कविताएँ
हे प्रियतम
हे प्रियतम
अद्भुत छवि बन
सुन्दरतम

बसे हो तुम
मन मन्दिर मे
आराध्य बन

भ्रमर जैसे
पागल बन ढूँढू
मैं पुष्पवन

तुम झरना
मैं इंद्रधनुष के
रंगीन कण

चंचलता मैं
ज्यों अल्हड़ लहर
सागर तुम

तुम विशाल
अनंत युग जैसे
मैं एक क्षण

हो तरुवर
अडिग धीर स्थिर
तो मैं पवन

जैसे ललाट
पर कोरी बिन्दिया
सजे चन्दन

हे प्रियतम....
- मानोशी चटर्जी
Manoshi Chatterjee
Email : [email protected]
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 आज कुछ माँगती हूँ प्रिय...
 पतझड़ की पगलाई धूप
 प्रिय तुम...
 शाम हुई और तुम नहीं आये
 हे प्रियतम
'बेकली महसूस हो तो'
विनोद तिवारी

बेकली महसूस हो तो गुनगुना कर देखिये।
दर्द जब हद से बढ़े तब मुस्कुरा कर देखिये।

रूठते हैं लोग बस मनुहार पाने के लिए
लौट आएगा, उसे फिर से बुला कर देखिये।

आपकी ही याद में शायद वह हो खोया हुआ
पास ही होगा कहीं, आवाज़ देकर देखिये।

हारती है बस मोहब्बत ही ख़ुदी के खेल में
हार कर अपनी ख़ुदी, उसको...

पूरी ग़ज़ल यहां पढ़ें
इस महीने :
'पुकार'
अनिता निहलानी


कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!

एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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