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पिया बिन नागिन काली रात
पिया बिन नागिन काली रात ।
कबहुँ यामिन होत जुन्हैया, डस उलटी ह्वै जात ॥
यंत्र न फुरत मंत्र नहिं लागत, आयु सिरानी जात ।
'सूर' श्याम बिन बिकल बिरहिनी, मुर-मुर लहरें खात ॥
- सूरदास
Ref: Swantah Sukhaaya
Pub: National Publishing House, 23 Dariyagunj, New Delhi - 110002
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पिया बिन नागिन काली रात
प्रीति करि काहु सुख न लह्यो
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झर-झर बहते नेत्रों से,
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बाद में सोचे है इंसान,
पहले अंधा-बहरा होगा।
तलाश करे या आस करे,
किस पर विश्वास ज़रा होगा?
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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