अप्रतिम कविताएँ
पिया बिन नागिन काली रात
पिया बिन नागिन काली रात ।
कबहुँ यामिन होत जुन्हैया, डस उलटी ह्वै जात ॥
यंत्र न फुरत मंत्र नहिं लागत, आयु सिरानी जात ।
'सूर' श्याम बिन बिकल बिरहिनी, मुर-मुर लहरें खात ॥
- सूरदास
Ref: Swantah Sukhaaya
Pub: National Publishing House, 23 Dariyagunj, New Delhi - 110002
विषय:
विरह (13)
कृष्ण (18)

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
सूरदास
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 निसिदिन बरसत नैन हमारे
 पिया बिन नागिन काली रात
 प्रीति करि काहु सुख न लह्यो
 मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे
 मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो
 सखी, इन नैनन तें घन हारे
इस महीने :
'सबसे ताक़तवर'
आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’


जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो कर सकते हैं वो
जो सबसे ताक़तवर है

तूफ़ान का धागा
दरिया का तिनका
दूर पहाड़ पर जलता दिया

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'हादसे के बाद की दीपावली'
गीता दूबे


रौशनी से नहाए इस शहर में
खुशियों की लड़ियाँ जगमगाती हैं
चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।

धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website