अप्रतिम कविताएँ
पिया बिन नागिन काली रात
पिया बिन नागिन काली रात ।
कबहुँ यामिन होत जुन्हैया, डस उलटी ह्वै जात ॥
यंत्र न फुरत मंत्र नहिं लागत, आयु सिरानी जात ।
'सूर' श्याम बिन बिकल बिरहिनी, मुर-मुर लहरें खात ॥
- सूरदास
Ref: Swantah Sukhaaya
Pub: National Publishing House, 23 Dariyagunj, New Delhi - 110002
विषय:
विरह (13)
कृष्ण (18)

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ड्रोन गगन में, सिग्नल ज़मीन पर,
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सुनो जवानों! ये डिजिटल रण है,
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कोड हथियार है और डेटा ... ..

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कभी ठिकाना था विहगों का आज ...

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