सूरज को, कच्ची नींद से
जगाओ मत।
दूध-मुँहे बालक-सा
दिन भर झुंझलायेगा
मचलेगा, अलसायेगा
रो कर, चिल्ला कर,
घर सिर पर उठायेगा।
आदत बुरी है यह
किन्तु बालक तुम्हारा है,
ओ माँ बयार!
थपकियाँ दे-देकर सुला दो
इसे बादल उढ़ा दो
इस तरह रुलाओ मत।
सूरज को कच्ची नींद से
जगाओ मत।
लोक धूमिल रँग दिया अनुराग से,
मौन जीवन भर दिया मधु राग से,
दे दिया संसार सोने का सहज
जो मिला करता बड़े ही भाग से,
कौन तुम मधुमास-सी अमराइयाँ महका गयी हो!