"कब तक सूरजमुखी बनें हम" कल्पना मनोरमा का नवगीत संग्रह है। इनके गीत और लघुकथाएँ कई साझा संकलनों में भी शामिल हो चुके है। "कस्तूरिया" इनका अपना ब्लॉग है।
भीगा बारिश में दरवाजा चौखट से कुछ झूल गया है।
कभी पेड़ था, ये दरवाजा सत्य ये शायद भूल गया है।
नये-नये पद चिन्ह नापता खड़ा हुआ है सहमा-सहमा।
कभी बना था पेड़ सुहाना धूप-छाँव पा लमहा-लमहा।
चौखट में अब जड़ा हुआ है एक जगह पर खड़ा हुआ है,
कभी ठिकाना था विहगों का आज ...