अप्रतिम कविताएँ

जीवन की करो गिनती
इससे पहले कि अँधेरा पोत दे काला रंग
सफेद रोशनी पर
फैला जो है उजास
उसकी बातें करो
अँधेरे की बूँद को समुद्र मत बनाओ

इससे पहले कि मृत्यु अपने को बदल दे शोर में
गीत गाओ, सुनाओ
जीवन की रागिनी गुनगुना रही है
श्रवण के सारे द्वार खोलो
कैनवास भरा है सुर से, संगीत से
मौत के छीटों को बड़ा मत बनाओ

विषाद का आनन्द लेने वाले
जिजीविषा पर कर दें हमला
इससे पहले
उलट दो गणित को
जीवन की करो गिनती
रिक्ति को सम्पूर्ण पर मत बिठाओ।
- प्रकाश देवकुलिश
काव्यपाठ: प्रकाश देवकुलिश

काव्यालय को प्राप्त: 14 Oct 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 23 Dec 2022

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
प्रकाश देवकुलिश
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 जीवन की करो गिनती
 दरख़्त-सी कविता
 प्रणाम
 वो हवा वहीं ठहरी है
इस महीने :
'अन्त'
दिव्या ओंकारी ’गरिमा’


झर-झर बहते नेत्रों से,
कौन सा सत्य बहा होगा?
वो सत्य बना आखिर पानी,
जो कहीं नहीं कहा होगा।

झलकती सी बेचैनी को,
कितना धिक्कार मिला होगा?
बाद में सोचे है इंसान,
पहले अंधा-बहरा होगा।

तलाश करे या आस करे,
किस पर विश्वास ज़रा होगा?
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website