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अस्तित्व
मैनें कई बार
कोशिश की है
तुम से दूर जानें की,
लेकिन
मीलों चलनें के बाद
जब मुड़ कर देखता हूँ
तो तुम्हें
उतना ही करीब पाता
हूँ |
तुम्हारे इर्द
गिर्द
वृत्त की
परिधि बन कर रह गया
हूँ मैं ।
-
अनूप भार्गव
विषय:
प्रेम (62)
गणित विज्ञान (9)
रिश्ते (17)
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..
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धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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