अप्रतिम कविताएँ
हाइकु
मुठ्ठी में कैद
धूप फिसल गयी
लड़की हँसी
- अनूप भार्गव
Anoop Bhargava
email: [email protected]

काव्यालय को प्राप्त: 21 Sep 2019. काव्यालय पर प्रकाशित: 8 Oct 2021

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झर-झर बहते नेत्रों से,
कौन सा सत्य बहा होगा?
वो सत्य बना आखिर पानी,
जो कहीं नहीं कहा होगा।

झलकती सी बेचैनी को,
कितना धिक्कार मिला होगा?
बाद में सोचे है इंसान,
पहले अंधा-बहरा होगा।

तलाश करे या आस करे,
किस पर विश्वास ज़रा होगा?
..

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