काव्यालय के आँकड़े
अप्रैल 2024 – मार्च 2025

नूपुर अशोक, वाणी मुरारका, विनोद तिवारी
(सम्पादक, काव्यालय)

काव्य के सौन्दर्य और सौन्दर्य के सुकून के आपके इस घर में पिछले साल, अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच, क्या क्या हुआ, आइये देखें -

इस साल विशेष

वीडियो शृंखला "छंद में लिखने की आसान तरकीब"


हम सभी के अन्दर एक कवि छिपा है। उसे कैसे जागृत किया जा सकता है? ये वीडियो और लेख उसी के विषय में हैं, जिसमें कविता के अभिन्न गुण -- लय -- पर चर्चा है।

वाणी मुरारका को एक तरकीब के बारे में पता चला, जिससे छंद में लिखने का रियाज़ कर सकते हैं, लय पर पकड़ बढ़ा सकते हैं। उन्होंने उसे आज़मा कर देखा कि वह तरकीब वाकई काम करती है, तो इस शृंखला में, कई उदाहरणों सहित उन्होंने वह तरकीब साझा की है। उस तरकीब को कैसे आगे बढ़ाकर पूरी कविता या गीत लिख सकते हैं, यह साझा किया है।

आपमें से कुछ पाठक, जो स्वयं लिखते भी हैं, आपने भी यह तरकीब आज़मा कर देखी और पाया कि यह काम की तरकीब है। आपने कई रोचक पंक्तियाँ भी भेजीं।

इस शृंखला का पुन: इन लिंक के ज़रिए लाभ उठाएँ।



प्रकाशन के आँकड़े

अप्रैल 2024 – मार्च 2025 की अवधि में भेजी गईं कुल 34 प्रस्तुतियों का विवरण इस प्रकार है। लिंक पर क्लिक करके आप उनकी सूची देख सकते हैं और उन रचनाओं का पुन: रसास्वादन कर सकते हैं।

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कुल प्रस्तुतियाँ 34

प्रस्तुति के प्रकार




प्रस्तुति के स्रोत

पाठकों के आँकड़े

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इस साल से व्हॉट्सएप पर कितने लोग काव्यालय के पोस्ट पढ़ते हैं, उसका ब्यौरा भी दिया है। आप देख सकते हैं कि व्हॉट्सएप पर पाठकों की संख्या नित बढ़ रही है।

इस साल प्रस्तुतियों की यह पाठक संख्या रही –

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यह हैं वेबसाइट पर आगन्तुकों के आँकड़े --

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पंकज जैन
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राहुल कुमार
रामानन्द पारीक
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वाणी मुरारका


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ईमेल सम्प्रेषण 5,609.90
व्हॉट्सएप फोन रीचार्ज 310.00
बैंक चार्ज 130.97
कुल खर्च ₹ 26,115.21 कुल आय ₹ 42,331.00
आधिक्य* ₹ 16,215.79
*काव्यालय के सम्पदा में सम्मिलित

रचनाओं का मूल्य, काव्यालय के सम्पादकों का वक्त और मेहनत का मूल्य नहीं जोड़ा गया है। सभी रचनाकार हमें नि:शुल्क अपनी प्रतिभा का उपहार देते हैं। काव्यालय कुटुम्ब के संचालन का कार्य भी नि:शुल्क है।

हमारा उद्देश्य है कि काव्य के सौन्दर्य के द्वारा, एक व्यापक विस्तृत आयाम का आभास हो। मीडिया और इन्टरनेट के शोर के बीच शान्ति और सुकून की सरिता बहे। यह अलौकिक अनुभूति और कई मित्रों तक पहुँचे। और यह सब विज्ञापनों के विकर्षण के बिना हो।

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प्रकाशित: 7 नवम्बर 2025


Topic:
Editorial (9)
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jab aap kuchh naheen kar sakate
to kar sakate hain vo
jo sabase taak़tavar hai

tooph़aan kaa dhaagaa
dariyaa kaa tinakaa
door pahaaD़ par jalataa diyaa

..

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Geeta Dubey


raushanee se nahaae is shahar men
khushiyon kee laḌiyaa(n) jagamagaatee hain
cheer kar gamon ke a(n)dhere ko
jindagee aaj phir se muskaraatee hai.
dhamaakaa phir goonjataa hai
par bamon aur bandookon kaa naheen
paTaakhon ke saath saath
goonjatee hai kilakaariyaa(n) bhee.
sahame se murjhaae hoThon par
..

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