अप्रतिम कविताएँ
एक रात
अँधियारे जीवन-नभ में
बिजुरी-चमक गयी तुम!

सावन झूला झूला जब
बाँहों में रमक गयीं तुम!

कजली बाहर गूँजी जब
श्रुति-स्वर-सी गमक गयीं तुम!

महकी गंध त्रियामा जब
पायल-झमक गयीं तुम!

तुलसी-चौरे पर आकर
अलबेली छमक गयीं तुम!

सूने घर-आँगन में आ
दीपक-सी दमक गयीं तुम!
- डा. महेन्द्र भटनागर

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डा. महेन्द्र भटनागर
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 एक रात
 कौन तुम
 भोर का गीत
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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 5 गीतों की ओर

वाणी मुरारका
इस महीने :
'सीमा में संभावनाएँ'
चिराग जैन


आदेशों का दास नहीं है शाखा का आकार कभी,
गमले तक सीमित मत करना पौधे का संसार कभी।

जड़ के पाँव नहीं पसरे तो छाँव कहाँ से पाओगे?
जिस पर पंछी घर कर लें वो ठाँव कहाँ से लाओगे?
बालकनी में बंध पाया क्या, बरगद का ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 4 कई गीत और कविताएँ (16 मात्रा)

वाणी मुरारका

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 3 खास विषयों पर लिखना

वाणी मुरारका
इस महीने :
'कौन तुम'
डा. महेन्द्र भटनागर


कौन तुम अरुणिम उषा-सी मन-गगन पर छा गयी हो!

              लोक धूमिल रँग दिया अनुराग से,
              मौन जीवन भर दिया मधु राग से,
              दे दिया संसार सोने का सहज
              जो मिला करता बड़े ही भाग से,
कौन तुम मधुमास-सी अमराइयाँ महका गयी हो!

             वीथियाँ सूने हृदय की ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 2 मूल तरकीब

वाणी मुरारका
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