आप सुन तो रहें हैं
मेरे गीत यह,
मन के मन्दिर में दीपक
जलाये तो हैं
आपके सामने बैठ कर
अनगिनत, अश्रु पावन
नयन से गिराये तो हैं
नेह की डालियों से
सुगन्धित सुमन
सांवरे श्री चरण पर
चढ़ाये तो हैं
मेरी पूजा में रोली
न चन्दन प्रिय
भाल पर प्रेम अक्षत
लगाये तो हैं
क्यों मैं घंटा ध्वनि से
जगाऊं तुम्हें
साज, सरगम के स्वर
गुनगुनाये तो हैं
भूल न जाना कभी
यह तुच्छ भक्ति मेरी
भाव कविता में गढ़
कर सुनाये तो हैं
यह जन्म आपके
रंग में रंग लिया
स्वप्न अगले जन्म के
सजाये तो हैं।
विनोद तिवारी की कविता "प्यार का उपहार" का वीडियो। उपहार उनका और वीडियो द्वारा उपहार का सम्प्रेषण भी वह ही कर रहे हैं। सरल श्रृंगार रस और अभिसार में भीगा, फिर भी प्यार का उपहार ऐसा जो व्यापक होने को प्रेरित करे।