अप्रतिम कविताएँ

कविता की कविता
जीवन की आपाधापी में खुद से मिल पाना
ऐसा ही तो होता है ना! कविता लिख पाना

वर्ष पर्यन्त गुलमोहर प्रतीक्षारत रहता है
कुछ दिन धमनियों में नारंगी रंग बहता है
पुष्पों का खिलना और वृक्ष का
खिल खिल खिल जाना
ऐसा ही तो होता है ना! कविता लिख पाना

प्रेम के नर्तन में राधा पहले पायल हो जाती है
विरह वेदना गीतों से फिर घायल हो जाती है
कृष्ण का एक आलिंगन और घावों का
सिल सिल सिल जाना
ऐसा ही तो होता है ना! कविता लिख पाना

एक समय उपरान्त प्रसव पीड़ा बन्द होती है
कभी मुक्तक जन्मता है कभी छन्द होती है
और मन की वीणा के तारों का
हिल हिल हिल जाना
ऐसा ही तो होता है ना! कविता लिख पाना
- विनीत मिश्रा
काव्यपाठ: हेमंत देवलेकर
प्रसव -- बच्चे को जन्म देना

काव्यालय को प्राप्त: 24 May 2024. काव्यालय पर प्रकाशित: 9 Aug 2024

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
विनीत मिश्रा
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 कविता की कविता
 शून्य कर दो
इस महीने :
'या देवी...'
उपमा ऋचा


1
सृष्टि की अतल आंखों में
फिर उतरा है शक्ति का अनंत राग
धूम्र गंध के आवक स्वप्न रचती
फिर लौट आई है देवी
रंग और ध्वनि का निरंजन नाद बनकर
लेकिन अभी टूटी नहीं है धरती की नींद
इसलिए जागेगी देवी अहोरात्र...

2
पूरब में शुरू होते ही
दिन का अनुष्ठान
जाग उठी हैं सैकड़ों देवियाँ
एक-साथ
ये देवियाँ जानती हैं कि
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website