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दिव्य
नेक बने मनुष्य
उदार और भला;
क्योंकि यही एक चीज़ है
जो उसे अलग करती है
उन सभी जीवित प्राणियों से
जिन्हें हम जानते हैं।

स्वागत है
अपनी अंत:प्रज्ञा
के उच्चतर अज्ञात
अस्तित्वों का,
मनुष्य को उनकी तरह दिखने दें
उसके उदाहरण से सीखें
कि हम भी उनमें आस्था रखें।

क्योंकि प्रकृति के संसार में
भावना नहीं है
सूर्य अपना प्रकाश
अच्छे और बुरे सब पर
डालता है
और चांद और सितारे
गुनहगारों पर भी चमकते हैं
और उन पर भी जो हममें श्रेष्ठतम हैं

हवाएँ और नदियाँ
बर्फबारी और बिजलियाँ
अपने रास्ते पर टूट पड़ती हैं
एक के बाद दूसरे को
छीनती चलती हैं
जो सामने से निकलते हैं

इसी तरह अंधी नियति भी चलती है
भीड़ में टटोलती हुई
कभी किसी युवा की घुंघराले बालों वाली
मासूमियत को छीनती हुई
और कभी बूढ़े गुनहगारों के गंजे खल्वाट सिर लेती हुई।

जैसा महान शाश्वत
अटूट नियम कहते हैं
हम सबको अपने
अस्तित्व का चक्र पूरा करना होगा

सिर्फ मनुष्य ही
कर सकता है यह असंभव कार्य
वह अंतर कर सकता है
चुन सकता है तय कर सकता है
वह क्षण को दे सकता है स्थायित्व

वह अकेला भले को पुरस्कृत
और बुरे को दंडित कर सकता है
वह ज़ख़्म भर सकता है और बचा सकता है
और उन सबको उपयोगी ढंग से
जोड़ सकता है
जो बिखरा हुआ है, भटका हुआ है
और हम
अमर्त्यों को पूजते हैं
जैसे वे मनुष्य थे
जो विराट पैमाने पर
वह करते हैं
जो हममें जो बेहतरीन है
वह छोटे स्तरों पर करता या
करने की कोशिश करता है।

नेक बने मनुष्य
उदार और भला
अथक हासिल करता रहे
जो न्यायिक और उपयुक्त है
वह‌ एक आदर्श बने
उन लोगों के लिए
जिन्हें वह अर्थ देता है।

- योहान वुल्फगांग फान गेटे
- अनुवाद : प्रियदर्शन
पढ़िए इस कविता पर आधारित लेख "होलोकॉस्ट में एक कविता"

काव्यालय को प्राप्त: 1 Jan 2024. काव्यालय पर प्रकाशित: 8 Mar 2024

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This Month :
'Kamre Mein Dhoop'
Kunwar Narayan


havaa aur daravaaj़on men bahas hotee rahee,
deevaaren sunatee raheen.
dhoop chupachaap ek kurasee par baiThee
kiraNon ke oon kaa sveTar bunatee rahee.

sahasaa kisee baat par bigaD़ kar
havaa ne daravaaj़e ko taD़ se
ek thappaD़ jaD़ diyaa !

khiD़kiyaa(n) garaj uTheen,
akh़baar uTh kar
..

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This Month :
'Khidkee aur Kiran'
Nupur Ashok


har roj़ kee tarah
roshanee kee kiraN
aaj bhee bhaagatee huee aaee
us kamare men phudakane ke lie
mej़ ke TukaD़e karane ke lie
palang par so rahane ke lie

bhaagatee huee us kiraN ne
..

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This Month :
'Kiran'
Siyaram Sharan Gupt


gyaat naheen jaanen kis dvaar se
kaun se prakaar se,
mere gRhakakSh men,
dustar-timiradurg-durgam-vipakSh men-
ujjval prabhaamayee
ekaaek komal kiraN ek aa gayee.
beech se a(n)dhere ke
..

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This Month :
'Roshnee'
Madhup Mohta


raat, har raat bahut der gae,
teree khiḌakee se, roshanee chhanakar,
mere kamare ke daro-deevaaron par,
jaise dastak see diyaa karatee hai.

main khol detaa hoo(n) ..

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