अप्रतिम कविताएँ
अबूझ है हर पल यहाँ

नहीं, कुछ नहीं कहा जा सकता
हुआ जा सकता है
खोया जा सकता है
डूबा जा सकता है
नहीं, कुछ नहीं कहा जा सकता
फूल के सौंदर्य के बारे में
पीया जा सकता है
मौन रहकर
नहीं खोले जा सकते जीवन के रहस्य
जीवन जिया जा सकता है
नृत्य कहाँ से आता है
कौन जानता है?
थिरका जा सकता है
यूँ ही किसी धुन, ताल पर
कहाँ से आती है मस्ती
कबीर की
वहाँ ले जाया नहीं
खुद जाया जा सकता है
डोला जा सकता है
उस नाद पर
जो सुनाया नहीं जा सकता
सुना जा सकता है
प्रकाश की नदी में डूबते उतराते भी
बाहर अँधेरा रखा जा सकता है
जो कहा ही नहीं जा सकता
उसके लिए शब्दों को
विश्राम दिया जा सकता है!
- अनिता निहलानी
विषय:
अध्यात्म दर्शन (36)

काव्यालय को प्राप्त: 30 May 2017. काव्यालय पर प्रकाशित: 2 Nov 2017

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 एक रहस्य
 गीत कोई कसमसाता
 पुकार
 भीतर शिखरों पर रहना है
इस महीने :
'हमारी सहयात्रा'
ज्योत्सना मिश्रा


कभी-कभी जीवन कोई घोषणा नहीं करता—
वह बस बहता है,
जैसे कोई पुराना राग,
धीरे-धीरे आत्मा में उतरता हुआ,
बिना शोर, बिना आग्रह।

हमारे साथ के तीस वर्ष पूर्ण हुए हैं।
कभी लगता है हमने समय को जिया,
कभी लगता है समय ने हमें तराशा।
यह साथ केवल वर्ष नहीं थे—
यह दो आत्माओं का मौन संवाद था,
जो शब्दों से परे,
पर भावों से भरपूर रहा।

जब हमने साथ चलना शुरू किया,
तुम थे स्वप्नद्रष्टा—
शब्दों के जादूगर,
भविष्य के रंगीन रेखाचित्रों में डूबे हुए।
और मैं…
मैं थी वह ज़मीन
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'तुम तो पहले ऐसे ना थे'
सत्या मिश्रा


तुम तो पहले ऐसे न थे
रात बिरात आओगे
देर सवेर आओगे
हम नींद में रहें
आँख ना खुले
तो रूठ जाओगे...

स्वप्न में आओगे
दिवास्वप्न दिखाओगे
हम कलम उठाएँगे
तो छिप जाओगे...

बेचैनियों का कभी
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'कुछ प्रेम कविताएँ'
प्रदीप शुक्ला


1.
प्रेम कविता, कहानियाँ और फ़िल्में
जहाँ तक ले जा सकती हैं
मैं गया हूँ उसके पार
कई बार।
इक अजीब-सी बेचैनी होती है वहाँ
जी करता है थाम लूँ कोई चीज
कोई हाथ, कोई सहारा।
मैं टिक नहीं पाता वहाँ देर तक।।

सुनो,
अबसे
..

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