अप्रतिम कविताएँ

सबसे ताक़तवर
जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो कर सकते हैं वो
जो सबसे ताक़तवर है

तूफ़ान का धागा
दरिया का तिनका
दूर पहाड़ पर जलता दिया

जो बुद्ध ने किया
रसूल ने किया
राम ने, नानक ने किया

जिसके बिना धर्म अधूरा है
और ईमान पूरा नहीं होता
युद्ध जीते नहीं जाते
इतिहास रचे नहीं जाते
नहीं खड़े होते खेत
नहीं निकलता पत्थर से पानी
नहीं मिलती किसी को मुक्ति
नहीं होता कोई प्रेम पूरा

जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो कर सकते हैं सब्र
जो सबसे ताक़तवर है।
- आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’
काव्यपाठ: आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’
विषय:
प्रेरणा (20)
धीरे-धीरे (4)

काव्यालय को प्राप्त: 20 Sep 2025. काव्यालय पर प्रकाशित: 21 Nov 2025

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
इस महीने :
'हादसे के बाद की दीपावली'
गीता दूबे


रौशनी से नहाए इस शहर में
खुशियों की लड़ियाँ जगमगाती हैं
चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।

धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website