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पारुल 'पंखुरी'
पारुल 'पंखुरी' की काव्यालय पर रचनाएँ
कविता उम्मीद से है
चीख

पारुल 'पंखुरी' की आवाज़ में अन्य कवियों की रचनाएँ
कनुप्रिया (अंश 3) उसी आम के नीचे - धर्मवीर भारती
कौन रंग फागुन रंगे - दिनेश शुक्ल
दुर्गा वन्दना - विनोद तिवारी
पारुल गुप्ता ‘पंखुरी’ शामली, उ. प्र. में रहती हैं| उन्होंने गणित में स्नातक स्तर पढ़ाई कर कम्प्युटर कोर्स और इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया है|

लेखनी की विभिन्न विधाओं में अपनी अभिव्यक्ति को आज़माते रहना पसंद करती हैं फिर चाहे वह तुकान्त, अतुकान्त, मुक्तक, दोहे हों या गद्य| अखिल भारतीय काव्य प्रतियोगिता में 2015 में उनकी कविता “भूकंप” के लिए वह विजेता रह चुकीं हैं| “निर्झरिका”, “कविता अनवरत” काव्य संग्रह में उनकी कवितायेँ प्रकाशित हुई हैं| आकाशवाणी में, और ऑनलाइन पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं|

शादी ब्याह के अवसरों पर parody और स्क्रिप्ट लिखते लिखते उनकी यात्रा कविताओं पर जा पहुंची | Facebook पर भी उन्हें अच्छा प्लेटफार्म मिला|

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