अप्रतिम कविताएँ
कोई अधूरा पूरा नहीं होता
कोई अधूरा पूरा नहीं होता
और एक नया शुरू होकर
नया अधूरा छूट जाता
शुरू से इतने सारे
कि गिने जाने पर भी अधूरे छूट जाते

परंतु इस असमाप्त
अधूरे से भरे जीवन को
पूरा माना जाए, अधूरा नहीं
कि जीवन को भरपूर जिया गया

इस भरपूर जीवन में
मृत्यु के ठीक पहले भी मैं
एक नई कविता शुरू कर सकता हूँ
मृत्यु के बहुत पहले की कविता की तरह
जीवन की अपनी पहली कविता की तरह

किसी नए अधूरे को अंतिम न माना जाए ।
- विनोद कुमार शुक्ल

काव्यालय को प्राप्त: 2 Apr 2023. काव्यालय पर प्रकाशित: 6 Oct 2023

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छोड़ छदन प्राचीन, नये दल वृक्षों ने धारे,
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दुरङ्गी चैत दिखाता है,
हा, इस अस्थिर काल-चक्र में जीवन
..

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..

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