अप्रतिम कविताएँ

खी खी खी खी


रात को खाना कैसे बनेगा?
पढ़ाई का खर्चा कहाँ से आयेगा?
गर्मी क्या होती है?
सपने किस चिड़िया का नाम है?
हाँ, उड़ने वाली सारी चिड़ियाँ होती हैं
और
लड़के मौड़ा और वह खुद मौड़ीं हैं...
मछलियाँ पानी में नहाती हैं।
हाँ, बिस्कुट खाते हैं।
टूटे बिस्कुट भी खा लेते हैं।
नीचे गिरे झाड़ के खा लेते हैं।

किसी डर से डर नहीं
न किसी बात से मतलब।

तुम्हारे घर में
जो दो गुड़िया हैं
हमें उन्हें हाथ लगाना बहुत पसंद है।

खी खी खी खी

हम हैं
दो बुद्धू बच्चियाँ
संध्या और सोनिया।

सब्ज़ी तौलते उनके पापा मायूसी से कहते हैं,
क्या करूँ? अपने साथ लिए लिए फिरता हूँ,
सुना है, शहर में बच्चा चोर का गिरोह आ गया है।
- निवेदिता दिनकर
चित्र आभार: निवेदिता दिनकर
निवेदिता दिनकर का काव्य संग्रह "इत्र तुम्हारे शर्ट का"
विषय:
समाज (31)

काव्यालय को प्राप्त: 10 Aug 2019. काव्यालय पर प्रकाशित: 22 Nov 2019

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 खी खी खी खी
 हल सरल हो जाता है
इस महीने :
'स्वतंत्रता का दीपक'
गोपालसिंह नेपाली


घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो,
आज द्वार द्वार पर यह दिया बुझे नहीं।
यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।

शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ,
भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रता-दिया,
रुक रही न नाव हो, ज़ोर का बहाव हो,
आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं!
यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है!
..

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युद्ध अगर अनिवार्य है सोचो समरांगण का क्या होगा?
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हर ओर धुएँ के बादल हैं, हर ओर आग ये फैली है।
बचपन की आँखें भयाक्रान्त, खण्डहर घर, धरती मैली है।
छाया नभ में काला पतझड़, खो गया कहाँ नीला मंजर?
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किलकारी भरते ..

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'नव ऊर्जा राग'
भावना सक्सैना


ना अब तलवारें, ना ढाल की बात है,
युद्ध स्मार्ट है, तकनीक की सौगात है।
ड्रोन गगन में, सिग्नल ज़मीन पर,
साइबर कमांड है अब सबसे ऊपर।

सुनो जवानों! ये डिजिटल रण है,
मस्तिष्क और मशीन का यह संगम है।
कोड हथियार है और डेटा ... ..

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