अप्रतिम कविताएँ
समय की लिपि
किसने कहा इतिहास मेरा है या तुम्हारा
यह तो एक समूह है जो इधर से गुज़र गया
एक ख्याल है जो करवट बदल कर सो गया
एक तारीख है जो समय की लिपि से मिटी जाती है

आज जिन तालिबान ने बुद्ध के अवशेष्ण को नष्ट किया
कल वो भी समय की लिपि पर बिखर जाएँगे
माना जीने के लिए हम सब का सार्थक होना ज़रूरी है
पर किसी की सार्थकता को निरर्थक बनाना ज़रूरी तो नहीं

समय की लिपि पर कुरेद कर अपना पता लिख भी दिया तुमने
तो भी इतिहास न मेरा है न तुम्हारा
यह तो एक समूह है जो इधर से गुज़र गया
एक गुमनाम पता है जो आगे मोड़ पर जा कर बिखर गया।
- रजनी भार्गव
Rajni Bhargava
email: [email protected]

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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 1 लय का महत्व

वाणी मुरारका
इस महीने :
'कामायनी ('निर्वेद' सर्ग के कुछ छंद)'
जयशंकर प्रसाद


तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन!

विकल होकर नित्य चंचल,
खोजती जब नींद के पल,
चेतना थक-सी रही तब,
मैं मलय की वात रे मन!

चिर-विषाद-विलीन मन की,
इस व्यथा के तिमिर-वन की;
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
'बेकली महसूस हो तो'
विनोद तिवारी

बेकली महसूस हो तो गुनगुना कर देखिये।
दर्द जब हद से बढ़े तब मुस्कुरा कर देखिये।

रूठते हैं लोग बस मनुहार पाने के लिए
लौट आएगा, उसे फिर से बुला कर देखिये।

आपकी ही याद में शायद वह हो खोया हुआ
पास ही होगा कहीं, आवाज़ देकर देखिये।

हारती है बस मोहब्बत ही ख़ुदी के खेल में
हार कर अपनी ख़ुदी, उसको...

पूरी ग़ज़ल यहां पढ़ें
इस महीने :
'पुकार'
अनिता निहलानी


कोई कथा अनकही न रहे
व्यथा कोई अनसुनी न रहे,
जिसने कहना-सुनना चाहा
वाणी उसकी मुखर हो रहे!

एक प्रश्न जो सोया भीतर
एक जश्न भी खोया भीतर,
जिसने उसे जगाना चाहा
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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