अप्रतिम कविताएँ
फूलों वाला पेड़
मैं मर गया तो पेड़ बनूंगा
फूलों वाला एक विशाल पेड़
तुम कभी थक जाओ तो
कुछ देर आकर बैठना उसके नीचे
मैं झरूंगा तुमपर
फूलों की तरह
धूप की तरह
ओस की बूंदों की तरह
हवा की तरह

तुम आंखें मूंदकर सुनना मुझे
मैं तुम्हें कह रहा होऊंगा - प्यार
तुम भी कह देना मुझे - प्यार
तुम्हारे देखते-देखते मैं भर जाऊंगा
अपनी शाखों पर उड़ान के लिए
पंख तोलते पक्षियों के कलरव से।
- ध्रुव गुप्त

काव्यालय को प्राप्त: 10 Mar 2024. काव्यालय पर प्रकाशित: 28 Jun 2024

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भाग 6 लय में लय तोड़ना

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भाग 5 गीतों की ओर

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'सीमा में संभावनाएँ'
चिराग जैन


आदेशों का दास नहीं है शाखा का आकार कभी,
गमले तक सीमित मत करना पौधे का संसार कभी।

जड़ के पाँव नहीं पसरे तो छाँव कहाँ से पाओगे?
जिस पर पंछी घर कर लें वो ठाँव कहाँ से लाओगे?
बालकनी में बंध पाया क्या, बरगद का ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

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कौन तुम अरुणिम उषा-सी मन-गगन पर छा गयी हो!

              लोक धूमिल रँग दिया अनुराग से,
              मौन जीवन भर दिया मधु राग से,
              दे दिया संसार सोने का सहज
              जो मिला करता बड़े ही भाग से,
कौन तुम मधुमास-सी अमराइयाँ महका गयी हो!

             वीथियाँ सूने हृदय की ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

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भाग 2 मूल तरकीब

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