अप्रतिम कविताएँ
फूलों वाला पेड़
मैं मर गया तो पेड़ बनूंगा
फूलों वाला एक विशाल पेड़
तुम कभी थक जाओ तो
कुछ देर आकर बैठना उसके नीचे
मैं झरूंगा तुमपर
फूलों की तरह
धूप की तरह
ओस की बूंदों की तरह
हवा की तरह

तुम आंखें मूंदकर सुनना मुझे
मैं तुम्हें कह रहा होऊंगा - प्यार
तुम भी कह देना मुझे - प्यार
तुम्हारे देखते-देखते मैं भर जाऊंगा
अपनी शाखों पर उड़ान के लिए
पंख तोलते पक्षियों के कलरव से।
- ध्रुव गुप्त

काव्यालय को प्राप्त: 10 Mar 2024. काव्यालय पर प्रकाशित: 28 Jun 2024

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इस महीने :
'या देवी...'
उपमा ऋचा


1
सृष्टि की अतल आंखों में
फिर उतरा है शक्ति का अनंत राग
धूम्र गंध के आवक स्वप्न रचती
फिर लौट आई है देवी
रंग और ध्वनि का निरंजन नाद बनकर
लेकिन अभी टूटी नहीं है धरती की नींद
इसलिए जागेगी देवी अहोरात्र...

2
पूरब में शुरू होते ही
दिन का अनुष्ठान
जाग उठी हैं सैकड़ों देवियाँ
एक-साथ
ये देवियाँ जानती हैं कि
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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