घुमंतू महाराज
श्री श्री १००८, स्वामी सूरजानन्द
यात्रा करते करते ब्रह्मांड की
बारह घर से गुजरते हुए
पधारे हैं अपने मकर भवन में
बड़े चमत्कारी!
भ्रमण का भ्रम देते
और नचाते जगत को
इनका गुस्सा ऐसा
आँखें तरेरी
तो धरणी काँप गई ठिठुरन से!
फिर छोड़ गए ओढ़ने को दुशाले
काले ब्लैक-होल से मुड़ते स्वामी
काले तिल से जुड़ते
तो अरमान हृदय के पतंग बन उड़ते
लंबे लंबे किरण पुंज सा गन्ना चूसते मानव
पर अनाथ बालक मक्के की रोटी हाथ में लिए
दान में मिले कंबल में घुस गए
जैसे अबोध भोले शिशु माँ के आँचल में छुपकर
स्तनपान के लिए लपके।
गरम पिंड की खिचड़ी और लावा का घी
प्लाज़्मा गैस में आयनिक कणों की छौंक
कृपा-प्रसाद मिला हमें घी खिचड़ी में।
प्लाज़्मा -- सूर्य वास्तव में प्लाज़्मा का गोला है। ठोस, द्रव, वाष्प (solid, liquid, gas) के अतिरिक्त प्लाज़्मा (plasma) पदार्थ की चौथी अवस्था है।
आयनिक -- Ionic, charged. जब अणुओं में इलेक्ट्रॉन का आधिक्य या कमी होती है।
काव्यालय को प्राप्त: 6 Jan 2024.
काव्यालय पर प्रकाशित: 19 Jan 2024