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धत्
सीधा
मेरी आँखों में
बेधड़क घूरती
बिल्ली सा
वह एक
निडर ख़्याल तेरा
टाँगों के बीच
पूँछ दबा
मेरी एक धत् से
भाग लिया।
-
दिव्या माथुर
Divya Mathur
email:
[email protected]
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हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।
झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती...
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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