अप्रतिम कविताएँ
चल पथिक तू हौले से
टहल रहा गर भोर से पहले
पग तू रखना धीरे से
जगे हुए हैं जीव-जंतु
मानव तुमसे पहले से

खरगोश, कीट और खग निकले
नीड़, बिल, कुंड से खुल के
चंचल अबोध छौने संग
चली हिरन निर्भयता  से

दिन भर रहते सिकुड़ समेटे
वनस्पति में रुल छिपके
निर्भीक निडर और मस्त रहे वो
केवल ब्रह्म-मुहूरत  में

होगा खाद्य श्रृंखला के
प्रथम पग पर तू जग के
व्याध का खेल रचा यहाँ पर
सुन्दर सूक्ष्म-संतुलन से

कोमल कोंपल मृदुल पत्ते
गीली घास धुले नम से
चन्द्रमा और सूर्य किरण संग
रचा भव्य रूपक नभ में

दर्शन करना गर तू चाहे
ऐसे स्वप्निल मन्ज़र के
सांस भी आये मद्धम तेरी
पग तू रखना धीरे से
- प्रिया एन. अइयर
व्याध : शिकारी
विषय:
प्रकृति (37)

काव्यालय को प्राप्त: 5 Jul 2017. काव्यालय पर प्रकाशित: 8 Jan 2021

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
प्रिया एन. अइयर
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 अधूरी
 चल पथिक तू हौले से
 वो चुप्पी
इस महीने :
'एक आशीर्वाद'
दुष्यन्त कुमार


जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
भावना की गोद से उतर कर
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।
चाँद तारों सी अप्राप्य ऊँचाइयों के लिये
रूठना मचलना सीखें।
हँसें
मुस्कुराऐं
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'तोंद'
प्रदीप शुक्ला


कहते हैं सब लोग तोंद एक रोग बड़ा है
तोंद घटाएँ सभी चलन यह खूब चला है।
पर मानो यदि बात तोंद क्यों करनी कम है
सुख शान्ति सम्मान दायिनी तोंद में दम है।

औरों की क्या कहूं, मैं अपनी बात बताता
बचपन से ही रहा तोंद से सुखमय नाता।
जिससे भी की बात, अदब आँखों में पाया
नाम न लें गुरु, यार, मैं पंडित 'जी' कहलाया।

आज भी ऑफिस तक में तोंद से मान है मिलता
कितना भी हो बॉस शीर्ष, शुक्ला 'जी' कहता।
मान का यह
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 5 गीतों की ओर

वाणी मुरारका
इस महीने :
'सीमा में संभावनाएँ'
चिराग जैन


आदेशों का दास नहीं है शाखा का आकार कभी,
गमले तक सीमित मत करना पौधे का संसार कभी।

जड़ के पाँव नहीं पसरे तो छाँव कहाँ से पाओगे?
जिस पर पंछी घर कर लें वो ठाँव कहाँ से लाओगे?
बालकनी में बंध पाया क्या, बरगद का ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website