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स्वप्न के गलियारे में
हैं सत्य ये नयन जब
होगा स्वप्न अस्तित्व भी
स्वप्न के गलियारे में
उन्नत आकाश होता है
ऊसर धरा में अंकुर जैसे
दमक चमक जाते हैं ये
स्वप्न के गलियारे में
कितना उल्लास होता है
अचानक उड़ जाते हैं पखेरू
मेरी सामर्थ्य से कहीं दूर
स्वप्न के गलियारे में
निरर्थक प्रयास होता है
होगे यें भी सत्य ही
तुम्हारे कहे शब्द कदाचित
स्वप्न के गलियारे में
मरीचिका आभास होता है
ना जाने कैसे क्यूँ
ये भूल गया था मैं
स्वप्न के गलियारे में
घोर कुहास होता है
परंतु आज नवस्वप्न लेकर
मैं फिर निकल पड़ा हूँ
स्वप्न के गलियारे में
जहां मंद प्रकाश होता है
- विकास अग्रवाल
Vikas Agarwal
Email:
[email protected]
Vikas Agarwal
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[email protected]
विषय:
विस्तार (13)
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..
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