दादी की याद आने के कितने बहाने हैं...
दोस्तो, ज़रूरी तो नहीं कि हर कविता भारी भरकम कुछ कहे, गहरा एहसास छोड़ जाए। हल्की फुल्की हँसी भी आवश्यक है, चाहे वह महिलाओं की इस अनकही संघर्ष पर ही क्यूँ न आधारित हो। प्रस्तुत है बबीता माँधणा की सीधी सरल कविता
"इतिहास खुद को दोहराएगा" --
इतिहास खुद को दोहराएगा
इक दिन मेरी दादी बोली,
तुम सब मिल मुझे चिढ़ाते हो
'दाढ़ी की अम्मा' कहते हो।
हम कहते 'डैडी की अम्मा'
वे सुनती 'दाढ़ी की अम्मा'!
वह मुस्काईं और फिर कहा --
इस ठुड्डी में बाल आ गए,
इसीलिए मुझे चिढ़ाते हो
'दाढ़ी की अम्मा' कहते हो?
इक दिन ऐसा भी आएगा,
इतिहास खुद दोहराएगा।
पार जवानी आएगी तू,
बाल उगेंगे ठुड्डी पर जब,
सब 'दाढ़ी की अम्मा' कह कर,
दादी की याद दिलाएँगे
यूँ इतिहास दोहराएँगे।
इक दिन मेरी दादी बोली।
~ बबीता माँधणा
अब बाल चाहे सर के हों या ठुड्डी के, बिखरें न हों तो बेहतर है, है न? वही बात कविता के साथ भी है। यह कविता जब पहली बार लिखी गई, इस प्रकार थी --
एक दिन मेरी दादी बोली,
तुम सब मिल मुझे चिढ़ाते हो
'दाढ़ी की अम्मा' बुलाते हो...
हम कहते थे 'डैडी की अम्मा',
वे सुनती थी 'दाढ़ी की अम्मा'
उन्होंने मुस्कराकर फिर कहा-
मेरी ठुड्डी में बाल आ गए,
इसलिए मुझे चिढ़ाते हो...
'दाढ़ी की अम्मा' बुलाते हो|
एक दिन ऐसा आएगा,
इतिहास खुद को दोहराएगा...
जब तुम बड़े हो जाओगे
तुम्हारी ठुड्डी में बाल उगेंगे,
सब तुम्हे भी 'दाढ़ी की अम्मा' बुलाएँगे...
और मेरी याद दिलाएँगे|
बाल पर दो चार बार कंघी चलाने से वे संवर जाते हैं। कवि अपनी पंक्तियों को कैसे संवारे? कविता का सौन्दर्य कई पहलूओं से उभरता है। उसमें से एक पहलू है लय। यहाँ लय सुधारने के लिए हमने
गीत गतिरूप की सहायता ली। गीत गतिरूप में इस कविता का पहले ड्राफ़्ट का यह चित्र बना --
यहाँ हर अंक उस पंक्ति की कुल मात्रा है
और चित्र में स्पष्ट है कि कौन सा अक्षर कितनी मात्राओं का है
पाठक का मन "एक" को "इक" स्वत: ही पढ़ लेता है क्योंकि लय में बहना इतनी आसान प्रक्रिया है। तो "एक" के ए पर क्लिक कर हमने उसे छोटा कर दिया (इसलिए बॉक्स पीला है) और पहली दो पंक्तियाँ 16 मात्रा में हैं। 16 मात्रा, सबसे आसान लय, अक्सर गीत संगीत कविता में पाई जाती है।
पर अन्य पंक्तियों का क्या? वे सोलह के आस पास हैं, पर कंघी चलानी होगी। देखिए हर पंक्ति को कैसे बदला गया। यह उदाहरण है कि कविता में गद्यात्मक अभिव्यक्ति को कैसे पद्यात्मक बनाया जा सकता है, अक्सर अनावश्यक शब्द हटाए जा सकते हैं।
'दाढ़ी की अम्मा' बुलाते हो [17 मात्रा]
'दाढ़ी की अम्मा' कहते हो [16 मात्रा]
"बुलाते" को "कहते" में बदल दिया। अ की एक मात्रा होती है, आ के दो मात्रा। उसे कहने में दुगुना समय लगता है।
एक स्पष्टिकरण -- गीत गतिरूप दूसरे शब्द नहीं सुझाता है। क्या संशोधन उपयुक्त होगा, वह कवि पर ही निर्भर है। हाँ समानार्थक शब्द खोजने की सुविधा है।
हम कहते थे 'डैडी की अम्मा' [18 मात्रा]
वे सुनती थी 'दाढ़ी की अम्मा' [18 मात्रा]
हम कहते 'डैडी की अम्मा [16 मात्रा]
वे सुनती 'दाढ़ी की अम्मा' [16 मात्रा]
(अनावश्यक "थे", "थी" हटा दिए)
उन्होंने मुस्कराकर फिर कहा [17 मात्रा]
वह मुस्काईं और फिर कहा [16 मात्रा]
("उन्होंने मुस्कराकर" बहुत गद्यात्मक है)
मेरी ठुड्डी में बाल आ गए [18 मात्रा]
इस ठुड्डी में बाल आ गए [16 मात्रा]
इसलिए मुझे चिढ़ाते हो [15 मात्रा]
इसीलिए मुझे चिढ़ाते हो [16 मात्रा]
एक दिन ऐसा आएगा [15 मात्रा]
इक दिन ऐसा भी आएगा [16 मात्रा]
इतिहास खुद को दोहराएगा [18 मात्रा]
इतिहास खुद दोहराएगा [16 मात्रा]
जब तुम बड़े हो जाओगे [15 मात्रा]
पार जवानी आएगी तू [16 मात्रा]
तुम्हारी ठुड्डी में बाल उगेंगे [19 मात्रा]
बाल उगेंगे ठुड्डी पर जब [16 मात्रा]
सब तुम्हे भी 'दाढ़ी की अम्मा' बुलाएँगे [24 मात्रा]
सब 'दाढ़ी की अम्मा' कह कर [16 मात्रा]
और मेरी याद दिलाएँगे [17 मात्रा]
दादी की याद दिलाएँगे [16 मात्रा]
पश्चिम बंगाल हावड़ा निवासी, हिन्दी अध्यापिका
बबीता माँधणा को धन्यवाद, इस बिल्कुल अलग विषय की रचना के लिए, और इस संशोधन यात्रा को साझा करने की अनुमति के लिए।
काव्यालय पर प्रकाशित : 19 जून 2020