अप्रतिम कविताएँ

सुप्रभात
नयन का नयन से, नमन हो रहा है
लो उषा का आगमन हो रहा है
परत पर परत, चांदनी कट रही है
तभी तो निशा का, गमन हो रहा है
क्षितिज पर अभी भी हैं, अलसाये सपने
पलक खोल कर भी, शयन हो रहा है
झरोखों से प्राची की पहली किरण का
लहर से प्रथम आचमन हो रहा है
हैं नहला रहीं, हर कली को तुषारें
लगन पूर्व कितना जतन हो रहा है
वही शाख पर पक्षियों का है कलरव
प्रभातीसा लेकिन, सहन हो रहा है
बढ़ी जा रही जिस तरह से अरुणिमा
है लगता कहीं पर हवन हो रहा है
मधुर मुक्त आभा, सुगंधित पवन है
नये दिन का कैसा सृजन हो रहा है।
- प्रभाकर शुक्ला
काव्यपाठ: वाणी मुरारका
प्राची : पूर्व दिशा; आचमन : मुख धोना, मन्त्र पढ़कर जल पीना; तुषार : हिमकण, यहाँ ओस; कलरव : चहक; आभा: चमक

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अन्य राशि

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 6 लय में लय तोड़ना

वाणी मुरारका

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 5 गीतों की ओर

वाणी मुरारका
इस महीने :
'सीमा में संभावनाएँ'
चिराग जैन


आदेशों का दास नहीं है शाखा का आकार कभी,
गमले तक सीमित मत करना पौधे का संसार कभी।

जड़ के पाँव नहीं पसरे तो छाँव कहाँ से पाओगे?
जिस पर पंछी घर कर लें वो ठाँव कहाँ से लाओगे?
बालकनी में बंध पाया क्या, बरगद का ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 4 कई गीत और कविताएँ (16 मात्रा)

वाणी मुरारका

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 3 खास विषयों पर लिखना

वाणी मुरारका
इस महीने :
'कौन तुम'
डा. महेन्द्र भटनागर


कौन तुम अरुणिम उषा-सी मन-गगन पर छा गयी हो!

              लोक धूमिल रँग दिया अनुराग से,
              मौन जीवन भर दिया मधु राग से,
              दे दिया संसार सोने का सहज
              जो मिला करता बड़े ही भाग से,
कौन तुम मधुमास-सी अमराइयाँ महका गयी हो!

             वीथियाँ सूने हृदय की ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 2 मूल तरकीब

वाणी मुरारका
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