नचारी को, मुक्तक काव्य के अन्तर्गत लोक-काव्य की श्रेणी में परिगणित किया जा सकता है। इसकी रचना में लोक-भाषा का प्रयोग और शैली में विनोद एवं व्यंजना पूर्ण उक्तियाँ रस को विलक्षण स्वरूप प्रदान कर मन का रंजन करती हैं। इनका लिखित स्वरूप सर्व प्रथम 'विद्यपति की पदावली' की पदावली में प्राप्त होता है। आराध्य के प्रति विनोद और व्यंग्य से पूर्ण, इन पदों में मुझे विलक्षण रस की अनुभूति हुई। इन 'नचारियों' के मूल में वही प्रेरणा रही है। |
नचारी
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प्रतिभा सक्सेना
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