काव्यालय के आँकड़े
अप्रैल 2023 – मार्च 2024

नूपुर अशोक, वाणी मुरारका, विनोद तिवारी
(सम्पादक, काव्यालय)

काव्यालय एक ऐसी यात्रा है जिसमें हम और आप सहयात्री हैं। आइए देखें पिछले साल, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच, इस यात्रा पर हम किन पड़ावों से गुज़रे -

इस साल की कहानी

7 कप चाय के — एक अनूठा प्रयोग


काव्यालय कुटुम्ब के प्रेम कविताओं के आयोजन में नूपुर अशोक द्वारा लिखी गई चाय के कप पर एक कविता, बढ़ती हुई एक शृंखला बन गई और जब काव्यालय ने इसे प्रकाशित करने का निर्णय लिया तो यह एक कलात्मक वीडियो सीरीज के रूप में अवतरित हुई।

चाय के सात छोटे-छोटे कप, अर्थात सात वीडियो। पहली बार काव्यालय ने आपके सामने लगातार सात दिन तक एक नया वीडियो रखा -- और आपने इस शृंखला को बहुत प्रेम दिया।

हालांकि वीडियो सारे छोटे थे, फिर भी इन्हें बनाने में 3 महीने का समय और 20 हज़ार रुपए का खर्च लगा। ऐसे वीडियो हम और बना सकें इसलिए काव्यालय को सहयोग दें। इस अति-मौलिक शृंखला का आप नीचे रसास्वादन कर सकते हैं।



वसन्त के चपल चरण — एक अद्भुत उपहार


हमारे पाठक अरुण कुमार ने कुछ पंक्तियां भेजीं और पूरी कविता प्रस्तुत करने का अनुरोध किया। आश्चर्य की बात यह थी कि इस कविता के अंश, खासकर यह पंक्ति "वसन्त के चपल चरण" तो कई लोगों को याद थे लेकिन पूरी कविता किसी को न याद थी और न ही किसी हिन्दी डिजिटल पटल पर उपलब्ध थी। उन्हीं पाठक ने ढूँढ कर इसे उपलब्ध कराया। फिर सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार और दिग्विजय कॉलेज के प्रोफेसर शंकर मुनि राय जी ने इसे अपनी सशक्त वाणी दी।

हमें गर्व है कि स्वतन्त्रता सेनानी, बिहार के कवि रामदयाल पाण्डेय की यह स्वर्ण समान कविता हम काव्यालय के संग्रह में शामिल कर सके। इसका वीडियो आप नीचे देख सकते हैं।



तकनीकी विकास — व्हॉट्सएप ए.पी.आए.


समय के साथ कदम मिलाते हुए जब हमने काव्यालय की प्रस्तुतियों को व्हॉट्सएप पर उपलब्ध कराना शुरू किया तो जल्दी ही इसके ऑटोमेशन की जरूरत महसूस होने लगी ताकि लगातार बढ़ती हुई पाठक सूची को संभाला जा सके, ताकि कोई भी व्यक्ति आसानी से हमारी पाठक सूची में शामिल हो सके बन सकें।

काफ़ी खोजबीन और वाणी मुरारका द्वारा कोडिंग के बाद हमने आखिरकार इसका समाधान ढूँढ़ ही निकाला। इसमें पिछले साल के कुछ महीने, और इस साल के कुछ महीनों का वक्त लगा। अब आप सब तक हमारी प्रस्तुतियां इसकी मार्फ़त पहुँच रही हैं।

पर एक महत्वपूर्ण बात — व्हॉट्सएप इस तरह से पोस्ट भेजना मुफ़्त नहीं है। इसके लिए, प्रति पाठक को भेजी गई प्रति पोस्ट के लिए व्हॉट्सएप के मालिक मेटा को शुल्क देना पड़ता है। इसलिए आपका सहयोग अति आवश्यक है।

प्रकाशन के आंकड़े

अप्रैल 2023 – मार्च 2024 की अवधि में कुल 34 प्रस्तुतियों का विवरण इस प्रकार है। लिंक पर क्लिक करके आप उनकी सूची देख सकते हैं और उन रचनाओं का पुन: रसास्वादन कर सकते हैं।

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कुल प्रस्तुतियाँ 34

प्रस्तुति के प्रकार




प्रस्तुति के स्रोत

पाठकों के आंकड़े

काव्यालय की प्रस्तुतियाँ लगभग 2200 सब्स्क्राइबरों को ईमेल पर नियमित रूप से भेजी जाती हैं। जो सब्स्क्राइबर कई महीनों तक (कम से कम छह महीने) हमारा कोई ईमेल नहीं खोलते हैं, उनका सबस्क्रिपशन समाप्त हो जाता है।

इस साल ईमेल पर प्रस्तुतियों की यह पाठक संख्या रही –

व्हाट्सैप पर अभी 245 नियमित पाठक हैं। यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आपके आर्थिक सहयोग से हम व्हाट्सप चैनल को सुचारु रूप से चला सकेंगे।

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यह हैं वेबसाइट पर आगन्तुकों के आँकड़े --

आर्थिक स्थिति

सहयोग देने वाले पाठकगण : 45
आप सभी को बहुत धन्यवाद
विक्रम मुरारका
रणजीत मुरारका
आशा मुरारका
निर्मला परदनानी
रेणु गौरीसरिया
कुसुम जैन
धीरेन्द्र त्रिपाठी
मंजरी पुरवार
शेखर प्रसाद
अनिता निहलानी
अमृत खरे
अरविन्द कौर
अर्चना शारदा
आशा जैसवाल
उमर चंद जैसवाल
गोपाल वर्मा
तजिंदर कौर
देवव्रत कुलकरणी
परिवेश मिश्रा
महेश तिवारी
रचिता सेहगल
रवीन्द्र प्रताप सिंह
राजीव बंसल
रोहित भार्गव
विपिन अग्निहोत्री
संजीव गुलाटी
संदीप भार्गव
सत्य नन्द चौधरी
हरिहर झा
उदय भान मिश्रा
ए. पी. दीक्षित
जीतेन्द्र भट्ट
तरुणा माथुर
नन्दिता मिश्र
प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी
वाणीश्री बाजोरिया
लुकमान अहमद
भगीरथ रावल
संजय मिश्रा
रामकुमार रोहिल्ला
शील आदित्य
निखिल कुमार
पुनीत जैन
रवि शंकर दंगी
वाणी मुरारका


व्यय (रुपये में) आय (रुपये में)
चाय सिरीज़ वीडियो निर्माण 20,460.00 आपसे प्राप्त योगदान 53,817.00
व्हॉट्सएप ए.पी.आए 20,158.00 बैंक से ब्याज 993.00
वेब होस्टिंग 7,038.50
ईमेल सम्प्रेषण 5,421.76
व्हॉट्सएप फोन रीचार्ज 1,074.00
ऑडिटिंग 590.00
कुल खर्च ₹ 54,742.26 कुल आय ₹ 54,180.00
कमी ₹ 562.26

रचनाओं का मूल्य, काव्यालय के सम्पादकों का वक्त और मेहनत का मूल्य नहीं जोड़ा गया है। सभी रचनाकार हमें नि:शुल्क अपनी प्रतिभा का उपहार देते हैं। काव्यालय कुटुम्ब के संचालन का कार्य भी नि:शुल्क है।

हमारा उद्देश्य है कि काव्य के सौन्दर्य के द्वारा, एक व्यापक विस्तृत आयाम का आभास हो। मीडिया और इन्टरनेट के शोर के बीच शान्ति और सुकून की सरिता बहे। यह अलौकिक अनुभूति और कई मित्रों तक पहुँचे। और यह सब विज्ञापनों के विकर्षण के बिना हो।

इस उद्देश्य को ऊर्जा देने के लिये
आर्थिक सहयोग दें --

प्रकाशित: 24 अक्टूबर 2024


Topic:
Editorial (9)
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jab aap kuchh naheen kar sakate
to kar sakate hain vo
jo sabase taak़tavar hai

tooph़aan kaa dhaagaa
dariyaa kaa tinakaa
door pahaaD़ par jalataa diyaa

..

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Geeta Dubey


raushanee se nahaae is shahar men
khushiyon kee laḌiyaa(n) jagamagaatee hain
cheer kar gamon ke a(n)dhere ko
jindagee aaj phir se muskaraatee hai.
dhamaakaa phir goonjataa hai
par bamon aur bandookon kaa naheen
paTaakhon ke saath saath
goonjatee hai kilakaariyaa(n) bhee.
sahame se murjhaae hoThon par
..

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