काव्यालय के आँकड़े
अप्रैल 2022 – मार्च 2023

नूपुर अशोक, वाणी मुरारका, विनोद तिवारी
(सम्पादक, काव्यालय)

विश्व में अनेक भाषाएँ हैं और भाषाओं से भी ऊपर है विचार। हमारी अपनी हिन्दी और पानी जैसी तरल विधा – काव्य – इनके माध्यम से विचारों और भावनाओं का आदान प्रदान हो जो हमें आंतरिक तौर पर समृद्ध करे, यही काव्यालय का प्रयास है। कैसा रहा हमारा यह प्रयास वर्ष 2022-23 में, देखें एक झलक।

इस साल की कहानी

एक कालजयी कविता का एनिमेशन


"अम्बर पनघट में डुबो रही, तारा घट उषा नागरी" -- हिन्दी के विशिष्ट कवि जयशंकर प्रसाद की इस अद्भुत परिकल्पना को चित्रांकन और एनिमेशन द्वारा उभार पाना -- यह काव्यालय की इस अवधि की विशेष उपलब्धि थी।

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प्रकाशन के आंकड़े

अप्रैल 2022 – मार्च 2023 की अवधि में कुल 27 प्रस्तुतियो का विवरण इस प्रकार है। लिंक पर क्लिक करके आप उनकी सूची देख सकते हैं और उन रचनाओं का पुन: रसास्वादन कर सकते हैं।

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कुल प्रस्तुतियाँ 27

प्रस्तुति के प्रकार




प्रस्तुति के स्रोत

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वाणी मुरारका


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व्हॉट्सएप फोन रीचार्ज 600.00
ऑडिटिंग 590.00
बैंक शुल्क 36.00
कुल खर्च ₹ 28,043.63
आधिक्य* ₹ 3,198.37
कुल₹ 31,242.00कुल आय₹ 31,242.00
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हमारा उद्देश्य है कि काव्य के सौन्दर्य के द्वारा, एक व्यापक विस्तृत आयाम का आभास हो। मीडिया और इन्टरनेट के शोर के बीच शान्ति और सुकून की सरिता बहे। यह अलौकिक अनुभूति और कई मित्रों तक पहुँचे। और यह सब विज्ञापनों के विकर्षण के बिना हो।

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प्रकाशित: 22 सितम्बर 2023


Topic:
Editorial (9)
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jab aap kuchh naheen kar sakate
to kar sakate hain vo
jo sabase taak़tavar hai

tooph़aan kaa dhaagaa
dariyaa kaa tinakaa
door pahaaD़ par jalataa diyaa

..

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raushanee se nahaae is shahar men
khushiyon kee laḌiyaa(n) jagamagaatee hain
cheer kar gamon ke a(n)dhere ko
jindagee aaj phir se muskaraatee hai.
dhamaakaa phir goonjataa hai
par bamon aur bandookon kaa naheen
paTaakhon ke saath saath
goonjatee hai kilakaariyaa(n) bhee.
sahame se murjhaae hoThon par
..

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