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बूँदें
बरसती हैं बूँदें
झूमते हैं पत्ते
पत्ता-पत्ता जी रहा है
पल पल को
आने वाले कल से बेख़बर
-
कुसुम जैन
काव्यालय को प्राप्त: 26 Sep 2021. काव्यालय पर प्रकाशित: 1 Oct 2021
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इस महीने :
'ओ माँ बयार'
शान्ति मेहरोत्रा
सूरज को, कच्ची नींद से
जगाओ मत।
दूध-मुँहे बालक-सा
दिन भर झुंझलायेगा
मचलेगा, अलसायेगा
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आदत बुरी है यह
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'आए दिन अलावों के'
इन्दिरा किसलय
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जलते हुए, अलावों के !!
सलोनी सांझ
मखमली अंधेरा
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जी उठे दृश्य
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..
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इस महीने :
'पिता: वह क्यों नहीं रुके'
ब्रज श्रीवास्तव
मेरे लिए, मेरे पिता
तुम्हारे लिए, तुम्हारे पिता जैसे नहीं हैं,
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बिल्कुल, बिल्कुल करीब हो जाता हूँ
अपने ही
तब भी
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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वार्षिक रिपोर्ट
अप्रैल 2023 – मार्च 2024
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