अप्रतिम कविताएँ
अभिषेक
आज दसों दिशाएँ सखियाँ बनकर परम प्रभु की अर्चना के लिए आकाश से पृथ्वी पर उतरी हैं।

आज हमारा है अभिषेक,
रक्तिम आज क्षितिज की रेख ।
दसों दिशाएँ सखियाँ बनकर,
महासिन्धु से स्वर्ग कलश भर
रंग - रंग के परिधानों में,
नभ - मन्डल से उतरीं भू पर ।

आज हमारा है अभिषेक,
रक्तिम आज क्षितिज की रेख ।

आज मनीषा मंगलमय हो,
उल्लासों से पूर्ण हृदय हो ।
पृथिवी नभ के अन्तराल में,
गूँज रहा स्वर जय जय जय हो ।

आज हर्ष का है अतिरेक,
रक्तिम आज क्षितिज की रेख ।

लोक - लोक के पुष्प सुगन्धित,
करने को श्रद्धा निज अर्पित,
आज सागरों के अंतर में,
भरा भावना का आवेश ।

आज हमारा है अभिषेक,
रक्तिम आज क्षितिज की रेख ।
- सत्यकाम विद्यालंकार
Ved Pushpanjali - Satyakam Vidyalankar
ऋग्वेद और सामवेद के इस श्लोक से प्रेरित

असर्जि वक्वा रथ्ये यथाजौ, धिया मनोता प्रथमा मनीषा ।
दश स्वसारो अधि सानो अव्ये, मृजन्ति वह्निं सदनेष्वच्छ ॥
- ऋग्वेद ९|९१|१ - सामपूर्वाचिक ६।५।११

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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 6 लय में लय तोड़ना

वाणी मुरारका

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 5 गीतों की ओर

वाणी मुरारका
इस महीने :
'सीमा में संभावनाएँ'
चिराग जैन


आदेशों का दास नहीं है शाखा का आकार कभी,
गमले तक सीमित मत करना पौधे का संसार कभी।

जड़ के पाँव नहीं पसरे तो छाँव कहाँ से पाओगे?
जिस पर पंछी घर कर लें वो ठाँव कहाँ से लाओगे?
बालकनी में बंध पाया क्या, बरगद का ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...

छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 4 कई गीत और कविताएँ (16 मात्रा)

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इस महीने :
'कौन तुम'
डा. महेन्द्र भटनागर


कौन तुम अरुणिम उषा-सी मन-गगन पर छा गयी हो!

              लोक धूमिल रँग दिया अनुराग से,
              मौन जीवन भर दिया मधु राग से,
              दे दिया संसार सोने का सहज
              जो मिला करता बड़े ही भाग से,
कौन तुम मधुमास-सी अमराइयाँ महका गयी हो!

             वीथियाँ सूने हृदय की ..

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छंद में लिखना - आसान तरकीब
भाग 2 मूल तरकीब

वाणी मुरारका
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