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शार्दुला झा नोगजा
शार्दुला झा नोगजा की काव्यालय पर रचनाएँ
एक गीत क्या मेरा होगा
छापे माँ तेरे हाथों के

शार्दुला झा नोगजा का जन्म बिहार के बनकट्टा गाँव में हुआ। उन्होंने जीवन के पच्चीस साल राजस्थान के कोटा शहर में निकाले। उन्होंने कोटा से ही अभियांत्रिकी में स्नातक की पढ़ाई की और कम्प्यूटेशनल अभियांत्रिकी में जर्मनी से स्नातकोत्तर किया। वे पिछले ११ साल से सिंगापुर में निवास कर रही हैं, जहाँ वे आयल और गैस एवं ऊर्जा विशेषज्ञ हैं।

शार्दुला की कविताएं "कविता कोश", "अनुभूति", "गर्भनाल" इत्यादि में सम्मिलित हैं। उनकी कवितायेँ कई पत्रिकाओं, संकलनों में भी शामिल की गई हैं। हिंदी कविता में वे प्रवासी भारतीयों की जानी-पहचानी आवाज़ हैं। वह सिंगापुर हिंदी फाउंडेशन की सक्रिय सदस्य और सलाहकर्ता हैं। २०१५ में उनको सिंगापुर में हिंदी कविता के लिए 'हिंदी प्रेरणा' से पुरुस्कृत किया गया।

शार्दुला, राकेश खंडेलवाल जी को अपना कविता का गुरु मानती हैं, यद्यपि उनके लेखन शैली काफ़ी भिन्न है। वे बचपन से कविता पढ़ती एवं लिखती रही हैं। स्कूल-कॉलेज के बाहर पहली बार उन्हें अनूभूति ने छापा इसलिए वह पूर्णिमा वर्मनजी को भी अपने लेखन का बड़ा श्रेय देती हैं। २००८ में उन्हें ई-कविता का घर मिला जहाँ उनकी कलम को नयी रवानी मिली।

आजकल वह सिंगापुर हिंदी फाउंडेशन के लिए कवि सम्मेलन और मुशायरे आयोजित करती हैं और फेसबुक पे लिखती हैं। आप उन्हें उनके फेसबुक एवं कविता कोश पे पढ़ सकते हैं।

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