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ज्योति चावला
ज्योति चावला की काव्यालय पर रचनाएँ
कहीं कुछ भी उथला न रह जाए

कविता और कहानी में समान रूप से लेखन। तीन कविता संग्रह - 'माँ का जवान चेहरा', 'जैसे कोई उदास लौट जाए दरवाजे से' और 'यह उनींदी रातों का समय है' क्रमशः आधार प्रकाशन, वाणी प्रकाशन और राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित। एक कहानी संग्रह 'अँधेरे की कोई शक्ल नहीं होती' आधार प्रकाशन से प्रकाशित। आलोचना की एक पुस्तक कथा-अंतर्कथा-अंतर्पाठ सेतु प्रकाशन से प्रकाशित। कविताएँ और कहानियाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित। कई कहानियां व कविताएं महत्त्वपूर्ण संकलनों में संकलित। कविता के लिए शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान 2014 और जे.सी. जोशी शब्द साधक कविता सम्मान, 2018। सृजनात्मक साहित्य के अलावा अनुवाद के उत्तर-आधुनिक विमर्श में खास रुचि। इन दिनों कविताओं, कहानियों के अतिरिक्त इस विषय पर सक्रियता से लेखन। दूसरा कहानी संग्रह शीध्र प्रकाश्य।

इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली में अध्यापन।


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