दिव्या ओंकारी 'गरिमा', झीलों के शहर भोपाल (मध्यप्रदेश, भारत) की निवासी हैं। वे अपने दृढ़ निश्चय और उत्साह के साथ कठिन परिश्रम में विश्वास रखती हैं। लिखना ही उनके लिए जीवन का मूल है। वे अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में कविताएँ लिखती हैं। उनका लेखन आमतौर पर प्रेम, दर्द, जीवन, प्रकृति और आध्यात्मिक विषयों पर आधारित होता है।
उन्हें अपने लेखन और बोलने के कौशल के लिए कई युवा और साहित्य समारोहों में सम्मानित किया गया है। उनका लेखन कई संकलनों में प्रकाशित हो चुका है। लिखने और बोलने के अलावा, दिव्या किताबें पढ़ने में अपना समय बिताना पसंद करती हैं।